1. जो रचनाएं ’’अविरल धारा’’ प्लेटफार्म पर प्रकाशन/प्रसरण हेतु प्रेषित की जायेंगी, रचनाकार/स्तंभकार का यह दायित्व होगा कि स्वयं सुनिश्चित कर लें कि यह रचना/सामग्री मूलतः स्वयं उनकी है, संप्रेषित सामग्री कॉपी राइट से आच्छादित नहीं है। किसी भी प्रकार के ऐसे विवाद के निस्तारण का उत्तरदायित्व स्वयं रचनाकार/स्तंभकार का होगा।
2. अविरत धारा पर कोई भी रचना/सामग्री जो प्रकाशनार्थ/प्रसारण हेतु संप्रेषित की जायेगी उस सामग्री के सापेक्ष निम्नवत् प्रमाणीकरण अपेक्षित होगा।
प्रमाण पत्र
’’प्रमाणित किया जाता है कि मै श्री/श्रीमती/कु0 ......................... पुत्र/पुत्री/पत्नी श्री/श्रीमती .............................................. निवासी ............................................................................................ (आधार कार्ड नं0.............................................) द्वारा जो रचना (रचना शीर्षक ................................ ) के द्वारा दिनांक ....................... को अविरल धारा पोर्टल पर प्रकाशनार्थ/प्रसारण हेतु संप्रेषित की गयी है, वह मेरी मूल रचना है। अन्य किसी फोरम पर अप्रकाशित/अप्रसारित है। यह मेरी स्व रचित मूल रचना/सामग्री है। अतः कापी राइट से आच्छादित नहीं है। यदि इस रचना के मौलिक होने या कापी राइट सम्बंधी कोई वैधानिक विवाद उत्पन्न होता है तो उसके विधिक निस्तारण हेतु मै स्वयं उत्तरदायी रहूंगा/रहूंगी।
3. ’’अविरल धारा’’ पोर्टल का मूल उद्देश्य साहित्य क्षेत्र में सुयोग्य एवं उभरती हुई प्रतिभाओं को उपयुक्त मंच उपलब्ध कराना है। इस मंच पर स्थापित एवं अनुभवी साहित्यकारों की विविध स्तंभो के माध्यम से उनकी मौलिक रचनाओ का भी समावेश किया जायेगा ताकि नवांगतुक साहित्यकार उनसे प्रेरणा लेकर अपनी रचनाओं का परिमार्जन कर सके एवं उत्तरोत्तर उनकी प्रतिभा निखर सके। इस पोर्टल का इसके अतिरिक्त ’’हिन्दी’’ को आमजन में सरलता एवं अविरलता से नैसर्गिक रूप में स्थापित करना भी है। इस प्रकार इस पोर्टल का अधिष्ठापन हिन्दी साहित्य के सेवार्थ प्रारम्भ किया गया है। इस पोर्टल पर प्रकाशित/प्रसारित मौलिक रचनाओं के सापेक्ष रचनाकर को तात्कालिक रूप से किसी पारिश्रमिक के भुगतान की कोई व्यवस्था नहीं है। यद्यपि भविष्य में पोर्टल को यदि आय के स्रोत की सुलभता होगी तो पारिश्रमिक/प्रोत्साहन के तौर पर पारस्परिक सहमति से व्यवस्था की स्थापना की जा सकेगी।
4. तात्कालिक रूप से पोर्टल पर प्रकाशित/प्रसारित मौलिक रचना पर रचनाकार का मौलिक अधिकार बना रहेगा, ’’अविरल धारा’’ पोर्टल पर प्रकाशित/प्रसारित रचना पर पोर्टल अपने स्वामित्व या अन्य अधिकार का दावा नहीं करेगा। पोर्टल पर प्रकाशि/प्रसारित मौलिक रचनाएं कापी राइट के अधीन नहीं होगी।
5. अविरल धारा पोर्टल पर प्रकाशित/प्रसारित किसी भी मौलिक रचना का स्वामित्व यद्यपि मूल रचनाकार का रहेगा परन्तु इस पोर्टल पर प्रकाशित/प्रसारित होने के न्यूनतम 6 माह तक अन्य किसी भी स्तर पर उस रचना का प्रकाशन/प्रसारण न किया जाना पारस्परिक सहमति के सिद्धांत को मान्यता देते हुए उभयपक्षों द्वारा क्रियान्वित किया जायेगा।
6. अविरल धारा पर प्रकाशन/प्रसारण हेतु प्रेषित मौलिक रचना का परीक्षण पोर्टल के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा किया जायेगा। यदि मूल रचना में कोई आपत्तिजनक स्थिति पायी जाती है अथवा किसी पोर्टल के उद्देश्यों के परिप्रेक्ष्य में कोई सुधारात्मक उपाय किये जाने की आवश्यकता अनुभूत की जाती है तो रचनाकार को सूचित कर उनकी सहमति से साहित्य सामग्री को संशोधित कर प्रकाशन/प्रसारण हेतु अग्रसारित कर दिया जायेगा। फिर भी जिन रचनाओं को पोर्टल पर अंगीकृत किया जाना संभव नहीं हो सकेगा, तो सम्बंधित को कारण सहित सूचित किया जायेगा।
7. पोर्टल पर निम्नांकित विषयों पर रचना प्रेषित किया जाना अनुमन्य नहीं होगा -
क. ऐसी रचनाएं जो राष्ट्रहित को प्रभावित करती हों।
ख. ऐसी रचनाएं जो धार्मिक, जातिगत, क्षेत्रीय एवं सामाजिक वैमनस्य की स्थिति उत्पन्न करती हों।
ग. ऐसी रचनाएं जो व्यक्ति एक वर्ग विशेष की प्रतिष्ठा एवं स्वाभिमान को ठेस पहुंचाती हो।
घ. ऐसी रचनाएं जो राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा निर्गत सुसंगत दिशा निर्देशों के अनुरूप न हों।
ड. प्रेषित की जाने वाली रचनाएं गैर राजनैतिक एवं सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने वाली होनी चाहिएं।
च. किसी भी रचना के कारण धर्मांधता, अंध विश्वास एवं रूढ़िवादी मानसिकता को बढ़ावा देने की स्थिति उत्पन्न न होने पाये।
छ. रचना ’’अविरल धारा पोर्टल’’ के घोषित उद्देश्यों के परिपेक्ष्य में सकरात्मकता के साथ रचित होनी चाहिये।
8. उपरोक्त नियमों एवं शर्तों में समय-समय पर तात्कालिक आवश्यकता अनुभूत होने पर एवं प्राप्त सुझावों के आधार पर इनमें परिवर्तन किया जाता रहेगा, जिसे पोर्टल पर अपलोड भी किया जायेगा।
9. किसी भी विषय पर विधिक वाद की स्थिति उत्पन्न होने पर वाद निस्तारण का न्यायिक क्षेत्र जनपद लखनऊ रहेगा।