अविरल धारा का प्रख्यापन
25 जनवरी 2024 को साहित्यिक हिंदी पत्रिका अविरल धारा का औपचारिक प्रख्यापन हरदोई जिले में हुआ। इसका प्रख्यापन 90.4 एफएम रेडियो जागो के अध्यक्ष श्री अभय शंकर गौड़ जी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार एवं पूर्व प्रधान आर्य वानप्रस्थ आश्रम ज्वालापुर हरिद्वार श्री डी के पांडेय विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे एवं जिले के स्थापित व नवोदित साहित्यकारों और कवियों में सर्व श्री बी एस पांडेय जी, मनीष मिश्र जी, गीता गुप्ता जी, मीतू मिश्रा जी, पल्लवी मिश्रा जी की ओजपूर्ण उपस्थिति भी रही। कार्यक्रम में विशेष रूप से आमंत्रित नवोदित रचनाकार रूबी ने नीलम नदी के पुनरोत्थान व हरदोई जिले पर आधारित स्वरचित कविताओं का पाठ कर सभी का ध्यान आकर्षित किया।
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धारा एक विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका है। इस पत्रिका का उद्देश्य हिंदी साहित्य को आधुनिक परिवेश में उत्तरोत्तर प्रगति एवं गौरवशाली इतिहास को गरिमामयी स्तर पर पहुंचने हेतु, सूक्ष्म ही सही, अभिदान करना है। यह डिज़िटल पत्रिका पूर्णतः गैर राजनीतिक परिवेश में रह कर, ये प्रयास करेगी की हिंदी साहित्य के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करे और उन सभी को एक मंच मिले जो हिंदी साहित्य की धारा की अविरलता चाहते हैं।
अविरल धारा की संपादक ज्योत्सना सिंह ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बताया कि डिज़िटल युग में यह हिंदी साहित्यिक क्षेत्र के डिज़िटलीकरण का अनूठा प्रयास है जो अविरल धारा के रूप में प्रवाहित होता रहेगा। पत्रिका के समाचार प्रभाग की कार्यकारी मैंने ने पत्रिका के स्वरूप और उद्देश्य की विस्तार से जानकारी दी एवं मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि तथा समस्त साहित्यकारों एवं कवियों को शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।
पोर्टल के क्रिएटर सुंदरम पांडेय ने पत्रिका के तकनीकी पहलुओं को बताया। एनजीओ सचिव, दीपा शर्मा,ने कार्यक्रम के अंत में अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
अविरल धारा पत्रिका लॉनन्चिंग के अवसर पर वरिष्ठ पत्रकारों,कवियों व साहित्यकारों ने अपने विचार व अनुभव साझा किये और पत्रिका की सफलता की कामना करते हुए अपने मूल्यवान मार्गदर्शन का आश्वासन भी दिया।
श्रीया शर्मा
परिचय
नाम-श्रीया शर्मा
पुत्री-श्री मनोज कुमार शर्मा
पता-1-ए,लक्ष्मीपुरवा हरदोई
शिक्षा-परास्नातक पत्रकारिता
एवं माँस-काँम
कार्यरत-सहायक प्रवंधक,ब्रांड स्ट्रेटजी,
गुरूग्राम(हरियाणा)
227 दिन पहले 10-May-2024 3:29 PM
वंदे भारत ट्रेन-18
मध्यमदूरी की आधुनिक रेल परियोजना
परियोजना संवंधी महत्वपूर्ण विवरण-
(i)पहली यूनिट की निर्माण लागत रू100 करोड़, जो कि योरोप से आयातित समान यूनिट की लागत से 50% सस्ती है।
(ii)पहली वंदे भारत ट्रेन माह फरवरी 2019 में वाराणसी से नयी दिल्ली के बीच चली।
(iii)मार्च 2024 तक देष के 45 राष्ट्रव्यापी मागों को,जो कि 24 राज्यों एवं 256 जिलों को कवर करतें हैं,मे संचालित।
(iv)ट्रेन की अधिकतम स्पीड 160 किमी0/घंटा एवं औसत स्पीड 96.37 किमी0/घंटा है।
(v)यह एक मध्यम दूरी की सुपरफास्ट एक्सप्रेस सेवा है जो 800 किमी0 दूरी तक के शहरों को जोड़ती है।
(vi)वर्तमान सेवाओं के साथ यात्रा करने में 8.8 घंटे का समय लगता है।
(vii)ट्रेन के दोनों छोर पर एक ड्राइवर कोच है, आँतरिक रूप से ट्रेन में 1128 यात्रियों के बैठने की क्षमता के साथ 16 यात्री कारें है। मध्य में दो प्रथम श्रेणी के डिब्बे हैं जिनमें से प्रत्येक में 52 यात्री बैठ सकते हैं।
वंदे भारत ट्रेन का अगला अवतार ‘‘वंदे भारत मेट्रो ट्रेन’’-
(i) इस श्रेणी की ट्रेनें100 से 200 किमी० की दूरी हेतु चलायी जायेंगी, जिसके एक ओर बड़ा शहर तथा दूसरी ओर उपनगर होगा।
(ii)इन ट्रेनों में 4 से लेकर 16 बोगियाँ तक जरूरत के अनुसार होगीं। शुरूआत 12 कोचों से होगी।
(iii)कोच के अंदर बैठने की व्यवस्था मेट्रो ट्रेनों की भाँति होगी।
(iv)इन ट्रेनों को अनारक्षित श्रेणी में रखा गया है।
(v)भविष्य में मुँबई लोकल ट्रेनों के अलावा दिल्ली, चेन्ने और कोलकाता में भी इन ट्रेनों को प्रतिस्थापित किया जाना संभावित है।
(vi)ये ट्रेनें एक रूट पर दिन में 4 से 5 बार चलेंगी।
(vii)दैनिक यात्री इन ए०सी० ट्रेनों में रैपिड शटल जैसा एवं कम समय की यात्रा का विश्व स्तरीय अनुभव लें पायेंगे।
(viii)50 ट्रेने तैयार हैं, संचालन जुलाई 2024 से प्रारम्भ होने की संभावना है।
भारतीय रेल की इस महत्वाकाँक्षी परियोजना के नेता और स्वतंत्र रेल सलाहकार एवं सेवानिवृत्त महाप्रवंधक भारतीय रेलवे श्री सुधाँशु मणि (आई.ए.एस.) से ‘‘अविरल धारा’’की समाचार प्रभाग की प्रभारी श्रीया शर्मा ने परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर बात चीत की, जिसके महत्वपूर्ण अंश प्रस्तुत है-
प्र०- ट्रेन -18 परियोजना अर्थात वंदे भारत ट्रेन को देश एवं यात्रियों की सुविधा के द्रष्टिगत आप क्या सोचते है?
उ०-यह परियोजना भारतीय रेल की सीमित समय में प्राप्त एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भारतीय इंजीनियरिंग का अनूठा उदाहरण होने के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाने वाला कदम है। वंदे भारत ट्रेन यात्रियों को यात्रा का बहुत अच्छा अनुभव दे रही हैं।
प्र०-इस परियोजना की सफलता से देशवासी किस प्रकार की संतुष्टि महसूस कर सकते हैं?
उ०-हमने सिद्ध किया है कि यदि उचित वातावरण मिले तो भारतीय इंजीनियर आयात से बहुत कम कीमत पर अवधारणा से लेकर डिजाइन करने तक विश्व स्तरीय उत्पाद विकसित कर सकते हैं। कम लागत और आत्म निर्भरता के द्रष्टिगत देश को अर्थिक सुदृढ़ता मिलने से देश और देशवासियों का हित होना निश्चित है।
प्र०-परियोजना में लगी टीम का सीमित समय में कार्य निष्पादन उत्कृष्टता के साथ कर पाने के लिए आप कुछ कहना चाहेंगें?
उ०-आई०सी०एफ० के तकनीकी कर्मियों के बीच कुछ सार्थक करने का उत्साह था। परियोजना में लगी पूरी टीम ने इस चुनौतीपूर्ण कार्य को जिस तन्मयता एवं व्यावसयिक द्रष्टिकोण से किया, वह प्रशंसनीय है। कई बार हम किसी कार्य की प्रारंभिक असफलताओं से उस कार्य से विमुख होने लगते है या प्रयास करना कम कर देते हैं, परंतु इस परियोजना की सफलता, स्वयं सिद्ध करती है कि किस मनोयोग से कार्य किया गया है।
प्र०-परियोजना के क्रियान्वयन में कैसी बाधाएं आंयी और इसके लिए क्या उपाय किये गये?
उ०-मुख्य बाधाओं में से एक डिजाइन की थी। इस हेतु आई०सी०एफ० की टीमों एवं विक्रेताओं को खुद के लिए चुनौती देने के लिए उत्सहित करना था। यह कार्य बगैर किसी प्रौद्योगिकी प्रदाता कंपनी के सहयोग के डिजाइन सलाहकार का उपयोग आई०सी०एफ० द्वारा किया गया ससमय सामिग्री आपूर्ति की निर्वाधता सुनिश्चित करना, आवश्यक साफ्टवेयर की तैयारी, 3-डी तकनीक का उपयोग, ये सब इस प्रकार किया गया कि आई०सी०एफ० इस और ऐसी ही समान परियोजनाओं के लिए स्वयं को भविष्य के लिए तैयार कर सके।
प्र०-ऐसी हाईस्पीड ट्रेनों में सुरक्षा के उपाय क्या किये गये?
उ०-सुरक्षा हमारी प्रमुख चिंता थी और प्रत्येक डिजाइन सुविधा को विशिष्ट मूल्यांकन के माध्यम से चलाया गया था। कोचों में एंटी-क्लाइंविंग फीचर, सेमी-परमानेंट जर्क-फ्री कप्लर्स जो कोचों को पलटने से रोकते हैं, आधुनिक बोगियाँ, स्वचालित प्लग दरवाजे, माइक्रोप्रोसेसर-नियंत्रित ब्रेक सिस्टम, सीलबंद गैंगवे, टॉक-बैक सुविधा, वीडियो निगरानी जैसी कई नई सुविधाएं थी। चेतावानी प्रणाली आदि।
प्र०-परियोजना के ससमय क्रियान्वयन एवं अपनी भूमिका पर भी प्रकाश डालें?
उ०-इस परियोजना को पूर्ण करने के लिए वर्ष 2018 निर्धारित था जिसके चलते इसे ट्रेन 18 नाम दिया गया। 2018 में परियोजना स्वीकृति के 21 महीने वाद मेरा रिटायर मेंट होने से पहले आई०सी०एफ० प्रोटोटाइप तैयार कर लेगा, ऐसे कठिन लक्ष्य की प्राप्ति में अनेक वाधाएं रही जैसे सीमित अवधि एवं डिजाइन हेतु निज संसाधनों के उपयोग की बाध्यता,विक्रेताओं से समन्वय। अतः आई०सी०एफ० की टीम को इस तनावपूर्ण माहौल में अराजक काम काज से बचने, कार्य की विफलता के डर को दूर करने हेतु मेरे स्वर से सतत् निर्णय लिये गये। टीम को उत्साह से भरे रखना ही इस परियोजना की सफलता की कहानी है। इस महती कार्य हेतु आई०सी०एफ० और उनकी टीम को बहुत धन्यवाद।
प्र०-वंदे भारत ट्रेन के महत्वपूर्ण फीचर्स क्या हैं?
उ०-एंटी क्लाइम्बिंग फीचर, सेमी परमानेंट जर्क फ्री कपलर्स (कोचों को पलटने से बचाते हैं), आधुनिक बोगियाँ,स्वचालित प्लग दरवाजे, माइक्रोप्रोसेसर नियंत्रित ब्रेक सिस्टम, सीलबंद गैंग वे, टाँक बैक सुविधा, वीडियों निगरानी, चेतावनी प्रणाली, जैसे फीचर्स ट्रेन के डिजाइन में शामिल हैं। यात्रियों की सुविधा के तौर पर वैक्यूम निकासी प्रणाली,स्पर्श मुत्त एफ के साथ आधुनिक शौचालय हैं। यह ट्रेन बिना किसी लोकोमोटिव के एक ट्रेन सेट है, बोर्ड के नीचे पावरिंग और होटल लोड उपकरण लगे होते है। पर्याप्त जगह यात्रियों को बैठने और सुविधाओं के लिए होती है।
श्रीया शर्मा
227 दिन पहले 10-May-2024 3:33 PM