421 दिन पहले 10-May-2024 4:03 PM
मौसमी बीमारियां, घरेलू उपचार
शीत ऋतु जाने को है तथा ग्रीष्म ऋतु आ रही है इस बीच के काल को संधिकाल कहते हैं। इस संधिकाल में मनुष्यों में ऋतु परिवर्तन के कारण शरीर में सामान्य बीमारियां देखने को मिलती हैं, यदि इस समय सावधानी न बरती जाए तो शरीर में अनेकानेक रोग उत्पन्न होने में देर नहीं लगती है।
इस काल में छोटी-छोटी सावधानियां रखी जायें तो बेहतर होगा। प्रायः इस काल में जुक़ाम, बुख़ार, बदनदर्द, ख़ाँसी, आदि सामान्य बीमारियां होती है इनके उपचार हेतु निम्न उपायों को अपनाना चाहिए-
1. इस अवधि में गरम कपड़ों का त्याग एकाएक नहीं करना चाहिए। धीरे-धीरे गरम कपड़ो का त्याग करना चाहिए।
2. अधिक ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। ज्यों-ज्यों गर्मी का एहसास हो धीरे-धीरे ठंडे पानी का सेवन करना चाहिए।
3. नहाते समय भी ठंडे पानी से परहेज करना चाहिए जब ग्रीष्म ऋतु विधिवत आरम्भ हो जाये तो शीतल जल से स्नान आदि करने का विधान है। यदि कुछ समस्या उत्पन्न हो ही जाय तो इन नुस्खो का सेवन करना चाहिए।
(क)अज़वाइन का पानी पीने से सिरदर्द की समस्या में राहत मिलती है।
(ख)चाय में अदरक, तुलसी की पत्ती, काली मिर्च का सेवन करने से जुक़ाम, ख़ाँसी, बदन दर्द में राहत मिलती है।
(ग) अज़वाइन को गर्म पानी में पकाकर भाप लेने से सर्दी,ख़ाँसी,जुक़ाम में राहत मिलती है ।
(घ) यदि भूख कम लग रही हो तो अदरक उबालकर उसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पर्याप्त भूख लगेगी।
साथ ही मौसमी फलों का सेवन भी करें जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगें।
डॉ० अरूण कुमार शर्मा
परिचय
डॉ० अरूण कुमार शर्मा लगभग 34 वर्ष की सेवा के बाद अपर निदेशक, आयुर्वेद सेवाओं के पद से सेवा निवृत्त हुए, बाल्यावस्था से ही हिन्दी साहित्य में रूचि रही। इनके प्रेरणा स्त्रोत स्व० श्री महेश चन्द्र ‘सरल’ जी रहे, जो कि ‘हरदोई समाचार’ साप्ताहिक समाचार पत्र के संपादक थे, डॉ० अरूण कुमार शर्मा वर्ष 1972-74 तक ‘‘तरूण-मित्र’’ पत्र के संपादक मंडल में रहे, उपरोक्त पत्रों में श्री शर्मा की कविताएं एवं लेख छपते रहे। ‘नंदन’ बाल पत्रिका में भी पुरस्कृत कहानी छपी। ‘‘झील का दर्द’’ नामक कहानी को राजस्थान में पुरस्कृत किया गया।